वह दरवाजे पर बैठे बैठे कभी कभी अपने अतीत में चला जाता, घर आंगन खुशियो से भरा हुआ I वह दरवाजे पर बैठे बैठे कभी कभी अपने अतीत में चला जाता, घर आंगन खुशियो से भरा हुआ...
समय के अनुसार चलना ही नियति है। समय के अनुसार चलना ही नियति है।
'जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महँ होते है। जीवन में माँ का कर्ज कभी उअतारा नहीं जा सकता । जीवन के ए... 'जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महँ होते है। जीवन में माँ का कर्ज कभी उअतारा नहीं...
मैं उसकी खरीदी भी कोई जागीर नहीं थी। मैं उसकी खरीदी भी कोई जागीर नहीं थी।
जिसकी सजा अप्रत्यक्ष रूप से परिवार ने वसुधा को भोगने पर मजबूर किया जिसकी सजा अप्रत्यक्ष रूप से परिवार ने वसुधा को भोगने पर मजबूर किया
पंचों की बात सुनकर दोनों भाइयों के पैरो तले जमीन खिसक गई। पंचों की बात सुनकर दोनों भाइयों के पैरो तले जमीन खिसक गई।